डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो जीवन भर चलती रहती है। इसके लिए डॉक्टर के परामर्श अनुसार दवाइयां लेने के साथ साथ कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे भी अपनाएं जाएं तो कई हद तक इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जिससे डॉक्टरी इलाज के साथ आयुर्वेदिक इलाज भी कई तरह से इस बीमारी के प्रभाव को कम करने में सहायक होते हैं।
दुनिया में लाखों लोग बड़ी गम्भीर बीमारियों से जूझते हैं आजकल बड़ी-बड़ी बीमारियां बच्चों से लेकर बड़ों तक के शरीर में घर कर रही हैं। कुछ बीमारियां तो ऐसी हैं जो अब आम सी हो गयी हैं जैसे उच्च रक्तचाप, मोटापा, डायबिटीज आदि।
डायबिटीज को मधुमेह भी कहा जाता है। इस बीमारी पर डब्ल्यू एच ओ ग्लोबल की पहली रिपोर्ट के अनुसार '1980 के बाद से डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों की संख्या लगभग चौगुनी हो चुकी है। इसमें भारत में 2000 तक 3.17 करोड़ रोगी तथा 2030 तक 79,44,41,000 डायबिटीज के रोगी बढ़ने के अनुमान हैं।' क्या आप लोग जानते हैं कि डायबिटीज में मीठा कम खाने के लिए क्यों कहा जाता है और यह किस प्रकार की बीमारी है? आइये जानते हैं इस बीमारी के बारे में....
डायबिटीज (मधुमेह)
डायबिटीज Ayurveda For Diabetes एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति का शरीर उसके ही शरीर में बनने वाले इन्सुलिन को उत्पादित करने में असक्षम हो जाता है। इसे इस प्रकार से समझ सकते हैं किसी भी व्यक्ति के शरीर में ग्लूकोस बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है परंतु इस बीमारी में शरीर ग्लूकोस का इस्तेमाल नहीं कर पाता जिससे इसकी मात्रा रक्त तथा यूरीन में बढ़ जाती है। इस ग्लूकोस का इस्तेमाल करने के लिए इन्सुलिन नामक हार्मोन की आवश्यकता होती है मगर शरीर पर्याप्त इन्सुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता इस कारण भी ग्लूकोस का स्तर बढ़ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप हृदयरोग, स्ट्रोक, किडनी फेलियर आदि बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं।
इसे भी पढ़े: जानिए घातक बीमारी अल्जाइमर के बारे में | What is Alzheimer's Disease?
इस बीमारी को टाइप 1 डायबिटीज (शरीर द्वारा इन्सुलिन उत्पादित नहीं हो पाता) तथा टाइप 2 डायबिटीज (शरीर इन्सुलिन का ठीक प्रकार से इस्तेमाल नहीं कर पाता) में बांटा जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार डायबिटीज
आयुर्वेद में इस बड़ी बीमारी या महारोग को मधुमेह कहा जाता है। इसके अनुसार इसका इलाज सिर्फ रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करके नहीं किया जा सकता बल्कि आयुर्वेद में इसको नियंत्रित करने के साथ-साथ पूरी तरह से ठीक करना शामिल है, जिससे आगे चलकर कभी किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो।
आयुर्वेद भी डायबिटीज के दो प्रकार बताता है। इसके अनुसार टाइप 1 डायबिटीज की वजह वात (वायु तथा गैस) दोष तथा टाइप 2 डायबिटीज की वजह कफ (जल तथा पृथ्वी) दोष का अधिक होना बताया गया है।
डायबिटीज के लक्षण
डायबिटीज के लक्षणों की बात की जाए तो इसमें थकावट महसूस होना, बेवजह वजन कम होना, हाथ पैर में झनझनाहट, अधिक प्यास लगना, बहुत अधिक भूख लगना, बार बार पेशाब होना, किसी भी प्रकार की चोट ठीक होने में अधिक वक्त लगना, धुंधला दिखना आदि शामिल हैं।
डायबिटीज को नियंत्रित करने के आयुर्वेदिक टिप्स
मेथी के बीजों का उपयोग
कहा जाता है कि मेथी के बीजों में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है जिससे ब्लड सर्कुलेशन की गति धीमी होती है। मेथी के बीजों को रोज़ गर्म पानी में भिगोकर लेने से डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।
कार्बोहाइड्रेट से होता है नुकसान
डायबिटीज में कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये रक्त में शुगर की मात्रा को बढ़ा देते हैं इसलिए चावल, आलू जैसी चीज़ों को खाने से बचें।
कसैली या हल्की कड़वी चीज़ें हैं जरूरी
इस बीमारी में हल्की कड़वी या कसैली चीजें जैसे करेला, आंवला, गिलोय, जामुन आदि का सेवन फायदेमंद है। करेले में पॉलीपेप्टाइड-पी नामक योगिक पाया जाता है जो शर्करा का स्तर नियंत्रित करने में अत्यंत सहायक है। आँवले में भी फाइबर होता है जो इस बीमारी में फायदा पहुंचाता है।
मीठी चीजों से करें परहेज़
जिन लोगों को डायबिटीज है उन्हें मिठाई, चीनी, चॉकलेट, मीठे फलों जैसी चीज़ें बिल्कुल नहीं खानी चाहिए। खासतौर पर केला, अनानास आम जैसे फलों के सेवन से बचना चाहिए।
ताँबे के बर्तन का पानी
तांबे के बर्तन में पानी रखने से इसके सभी गुणकारी प्रभाव पानी में मिल जाते हैं जो इस बीमारी से लड़ने में सहायता करता है। इसके लिए ताँबें के बर्तन में रात भर पानी रखना चाहिए तथा सुबह उठकर उस पानी को पीना चाहिए। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण अत्यंत लाभकारी होते हैं।
मसाले हैं गुणकारी
कई सारे मसालों में भी एंटीडायबिटिक गुण मिलते हैं जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मददगार हैं, जैसे- हींग, दालचीनी, धनिया, सरसों इत्यादि। डायबिटीज से ग्रसित व्यक्तियों को टहलना और व्यायाम फायदेमंद होता है। इन्हें डेयरी उत्पादों के प्रयोग से बचना चाहिए। इन सारे उपायों के साथ डॉक्टर की सलाह व परामर्श तथा दवाइयों का प्रयोग भी करते रहना चाहिए।