गयी दुनिया नई दुनिया एक नया विशिष्ट काव्य संग्रह है जिसमें प्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर ने कोरोना से जूझ रहे विश्व में प्रभावितों के जीवन का सुंदर वर्णन और इस तरह की बड़ी महामारी से बचने के कुछ सूत्र बताए हैं। इस काव्य संग्रह में इतनी बड़ी त्रासदी के बाद भी सकारात्मक पहलुओं पर विशेष ध्यान आकर्षित किया गया है तथा जीवन को जीने की एक नई कला, एक नई दुनिया की व्याख्या की गई है।
इस कविताओं के संग्रह की नई पुस्तक New Book Gayi Duniya Nayi Duniya 'गयी दुनिया नई दुनिया' के लेखक हैं विद्वान, हास्य व व्यंग्य रचनाओं के प्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर। इनका जन्म 8 फरवरी सन 1941 में हुआ था। अशोक चक्रधर जी ने अनेक हास्य रचनाएं दी हैं। वे टेलीफिल्म लेखक-निर्देशक, धारावाहिक लेखक, निर्देशक, अभिनेता, कलाकार, मीडियाकर्मी, नाटककर्मी के रूप में अपनी छवि प्रस्तुत करने वाले व्यक्तियों में से एक हैं। वे जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में हिंदी और पत्रकारिता विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं तथा हाल में हिंदी अकादमी दिल्ली के उपाध्यक्ष के पद पर कार्य करते हैं। उन्हें 2014 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है।
इनके प्रमुख कविता संग्रहों में बूढ़े बच्चे, ए जी सुनिए, जाने क्या टपके, बोल गप्पे, जो करे सो जोकर, मसलाराम, देश धन्या पंच कन्या, भोले भाले, चुटपुटकुले, हंसो और मर जाओ, सो तो है आदि प्रसिद्ध तथा हास्य के साथ-साथ बहुत कुछ सीख देने वाली रचनाएं शामिल हैं।
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अशोक चक्रधर को लेकर पद्मश्री शरद जोशी जी कहते हैं -" अशोक के कहन में बड़ी शक्ति है और हमारी भाषा की, हमारे देश की और हमारी जनता की शक्ति है।"
आज कल के कोरोना संक्रमित माहौल को देखकर लगता है कि यह माहौल काफी लंबे समय तक रहने वाला है कई सालों बाद जब कोई कवि या कहानीकार इस दौर की बात करेंगे तो तब ऐसे समय को याद करते हुए की कैसे एक दूसरे से दूरी बनाने के लिए इंसान घर में ही बन्द हो गया था और किस प्रकार प्रकृति आनंद ले रही थी, स्वयं को सुशोभित कर रही थी, शुद्ध वातावरण से नए जीवन से तथा किस प्रकार एक दिखाई न देने वाले वायरस की वजह से देखते ही देखते करोड़ो लोगों की जान चली गयी और बड़े-बड़े देश भी बस देखते रह गए। ना स्कूल, न कोई कवि सम्मेलन और न ही एक दूसरे से मिलना-जुलना ऐसी अनुभूतियों को अपनी कविताओं में पिरोयेंगे।
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परन्तु अशोक जी अपनी नई रचनाओं के माध्यम से यही बताना चाहते हैं कि एक पुरानी दुनिया जा चुकी है अब नई दुनिया आयी है ये वही नई दुनिया है जिसमें दो गज की दूरी रखनी जरूरी है, सबके चेहरे मास्क में ढके हुए हैं, बाजार में टहलने में सबको डर है। इतना सब होने के बाद भी सकारात्मकता के साथ चलना ही जीवन है।
गयी दुनिया नई दुनिया पुस्तक में दो सौ पेज हैं तथा इसकी छपाई प्रेलक प्रकाशन द्वारा की गई है। इसमें 'संस-कृति के 4 अध्याय' के साथ-साथ कई और कविताएं भी लिखी गयी हैं - जिनमें बाप रे बाप रे बाप रे, टीन और कोरंटीन, धीरज क्यों खो रहे हैं, दुनिया नई बनानी है, दूसरे लॉक डाउन पर, मेढकों का काफिला, नोम तोम का ताजमहल, माई री माई एफडीआई, दशरथ मांझी और दाना मांझी, घर जाते मजदूर, वेदना में नहीं संवेदना में कमी, यहीं बजना है जीवन संगीत आदि प्रमुख हैं जिनमें हास्य के साथ-साथ प्रेरणा, संभावना, उदभावना तथा सकारात्मकता व्यक्त की गई है।
इस काव्य संग्रह के 'संस-कृति के चार अध्याय' में कवि द्वारा श्यामलाल एंड सन्स की कहानी बताई है वह किस प्रकार कोरोना संकट से बचकर आते हैं। इस कहानी की सीख कवि इस प्रकार देते हैं :-
प्रकृति नहीं सहती कोई अन्याय
अति हो जाती है तो
आता है नया अध्याय
एक कविता 'नन्ही सच्चाई' में एक बच्ची की कहानी ने बड़े ही सूक्ष्म अंदाज़ से दिलों को छू लिया है। यह लॉक डाउन के बाद की उपचार की कहानी है जिसमें क्या करें और क्या नहीं यह बताया गया है।
नोम तोम के ताजमहल में एक गाइड की भाषा में ताजमहल के इतिहास और अतीत की कहानी आकर्षक लगती है वही दूसरी ओर सबकी है ये धरती महान संकट से निपटने और बचने की सलाह देती है।
इन्हीं विशेषताओं की वजह से कवि जावेद अख्तर अशोक चक्रधर के बारे में कहते हैं -"जैसे शायरी ज़िन्दगी के होंठो की हल्की सी मुस्कान है उसी तरह शायरी के होठों पर जो हल्की सी मुस्कान है, उसका नाम अशोक चक्रधर है।"
अंत में इस काव्य संग्रह की कुछ पंक्तियों को पढ़ते हैं
गोदाम भरे पड़े हैं, लोग बाहर भी मरे पड़े हैं
सफाईकर्मी लाशों को कूड़े की तरह ढो रहा है
हे भगवान ये क्या हो रहा है?
भगवान बड़ी मुश्किल से अपने अधर खोले और कराहते हुए बोले,
यह दृश्य मेरी फिल्म से निकाल दो
फिलहाल दो बूँद गंगा जल मेरे मुंह में भी डाल दो।