शिक्षा किसी भी समाज का एक महत्वपूर्ण प्रतिबिंब है, जिससे व्यक्ति के साथ-साथ संपूर्ण राष्ट्र का विकास किया जा सकता है। भारत में अंतिम शिक्षा नीति 1986 में लाई गई थी तथा उस नीति में 10+2+3 शिक्षा संरचना को पूरे देश में लागू किया गया था। लगभग 34 वर्ष बाद नई शिक्षा नीति को लाया गया, जिससे 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा किया जा सके। इस शिक्षा नीति में सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके एक न्याय संगत और जीवंत ज्ञान समाज विकसित करने की दृष्टि निर्धारित करता है। National Education Policy 2020
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर देश को संबोधित किया तथा उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में हमारी शिक्षा प्रणाली को पूर्ण जीवन देने के लिए नई नीति का आना जरूरी है। यह सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके एक न्याय संगत और जीवंत ज्ञान समाज विकसित करने की दृष्टि निर्धारित करता है। यह जुड़ाव और उत्कृष्टता के दोहरे उद्देश्य को प्राप्त करता है।
छात्र व शिक्षक के मध्य अंतः क्रिया की अवधारणा
राष्ट्रपति महोदय ने छात्र-शिक्षक के मध्य एक मुक्त वार्तालाप या अंतःक्रिया की अवधारणा पर जोर देते हुए कहा कि 'भगवत गीता' और 'कृष्ण-अर्जुन' जैसा संवाद शिक्षा में मुक्त संचार को पैदा करेगा।
महत्वपूर्ण दृष्टिकोण व जिज्ञासा की भावना को प्रोत्साहन
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि "नई शिक्षा नीति महत्वपूर्ण दृष्टिकोण और जिज्ञासा की भावना को प्रोत्साहित करने का प्रयास भी करती है। नीति के प्रभावी क्रियान्वयन से भारत की शिक्षा के महान केंद्रों तक्षशिला और नालंदा के समय के गौरव को हासिल किया जा सकता है"।
सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना
सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके एक समतामूलक और जीवंत रूप से शिक्षित समाज विकसित करने की सोच का निर्धारण यह नई शिक्षा नीति करती है। "उच्च शिक्षा में नई शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन" विषय पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्वारा यह कहा गया।
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नवाचार को प्रोत्साहन तथा तार्किक निर्णय लेना
उच्च शिक्षण संस्थानों पर भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने की अधिक जिम्मेदारी है। यह संस्थान इन संस्थानों द्वारा स्थापित गुणवत्ता मानकों का पालन करेगी। राष्ट्रपति जी ने यह भी कहा कि नई शिक्षा नीति के मूल सिद्धांतों में तार्किक निर्णय लेने तथा नवाचार को प्रोत्साहन करने के लिए रचनात्मकता एवं महत्वपूर्ण दृष्टिकोण को समाहित करना शामिल है।
नई शिक्षा नीति के विषय पर राष्ट्रपति द्वारा इन गुणों व विशेषताओं का उल्लेख किया गया। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) नीति में एक प्रमुख बदलाव है जो छात्रों के लिए बहुत मददगार होगा। यह विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों से अर्जित अकादमिक क्रेडिट को डिजिटल रूप में संग्रहित करेगा ताकि छात्रों द्वारा आयोजित क्रेडिट को ध्यान में रखते हुए डिग्री प्रदान की जा सके। एबीसी छात्रों को उनकी व्यवसायिक या बौद्धिक आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यक्रम लेने की अनुमति देगा। शिक्षा में यह लचीलापन छात्र के लिए बहुत उपयोगी होगा।