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Tablighi Jamaat History, उत्पत्ति और कार्यों पर एक नजर

तबलीगी जमात यानी मुस्लिमों का एक ऐसा समूह जो धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित है। फिलहाल तबलीगी जमात कोरोना फैलाने को लेकर खबरों में बने थे। ऐसे में जानना जरूरी है कि इस जमात की स्थापना करने वाला व्यक्ति कौन था? इसकी उत्पत्ति कैसे हुई? और यह क्या कार्य करते हैं? इन सब जानकारियां को हमने अपने आर्टिकल में समेटा है जो पेश है आपके लिए-


तबलीगी जमात क्या है?


तबलीगी जमात एक धर्मांतरण और रूढ़िवादी समूह है जो इस्लामिक विचारों और पारंपरिक इस्लाम का अनुमोदन करता है। मूल रूप से यह प्रशिक्षित मिशनरी हैं जिन्होंने दुनिया भर में इस्लाम फैलाने में अपना जीवन समर्पित कर दिया। वह आम मुसलमानों तक पहुचकर उनके विश्वास को पुनर्जीवित करते हैं और अनुष्ठान, पोशाक ,व्यक्तिगत भक्ति आंदोलन के द्वारा इसे वर्णित कर व्यक्तिगत विश्वास, आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक विकास पर जोर देते हैं।


दरअसल तबलीगी का अर्थ है- अल्लाह और कुरान, हदीस के बात दूसरों तक पहुंचाना। और जमात का मतलब है- आस्था का प्रचार करने वालों की एक टोली।


जैसा कि हम जानते हैं कि मुसलमान कुरान पढ़ते हैं। हदीस और संबंधित किताबें पढ़ते हैं। इसके अलावा तबलीगी लोग तबलीगी निसाब, सात निबंध जो कि 1920 के दशक में मौलाना इलियास के एक साथी द्वारा लिखे गए थे को भी पढ़ते हैं और इसका अनुसरण करते हैं।


तबलीगी जमात इतिहास और उत्पत्ति


Tablighi Jamaat History- मौलाना मोहम्मद इलियास कंधालवी ने 1927 में मेवात , भारत में तबलीगी जमात की स्थापना की ।वे प्रमुख देवबंदी मौलवी विद्वान और तबलीगी जमात के प्रस्तावक थे। यह एक आंदोलन था जिसे व्यक्तिगत धार्मिक प्रथाओं में सुधार और इस्लामी आस्था के साथ-साथ मुस्लिम अल्पसंख्यक आबादी की रक्षा के लिए शुरू किया गया था।

इलियास के बाद से , तबलीगी जमात के नेता शादी या खून से संबंधित रहे हैं और 1944 में मौलाना मोहम्मद इलियास कंधालवी की मृत्यु के बाद उनके पुत्र मौलाना मोहम्मद युसूफ ने  इसका नेतृत्व किया ।भारत के विभाजन के बाद तबलीगी जमात पाकिस्तान के राष्ट्र में तेजी से फैल गए।

1950 और उसके बाद यह अखिल भारतीय और पूरे विश्व में फैल गया था 1970 के दशक में गैर मुस्लिम क्षेत्रों में  यह आंदोलन तीव्र हो गया। यह सऊदी वहाबियों और दक्षिण एशियाई देवबंदीयों के बीच एक सह क्रियात्मक संबंध की स्थापना के साथ मेल खाता है।


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बीसवीं सदी के अंत में सबसे प्रभावशाली बहावी धर्म गुरु अब्द- अल- अजीज- इब्न बाज ने तबलीगीयों के अच्छे कार्यों को मान्यता दी। ऐसा भी माना जाता है कि तबलीगी जमात देवबंदी आंदोलन का ही एक हिस्सा है लेकिन यहां यह बात ध्यान रखने वाली है कि तबलीगी लोग सूफियों के आदेश में विश्वास नहीं करते हैं लेकिन मुस्लिमों के भीतर कुछ समुदाय इसे मानते हैं और खुद को सुन्नियों के रूप में बुलाते हैं ।

दो दशकों से यह संगठन बढ़ा हुआ और भारत के कई हिस्सों में स्थापित हुआ वर्तमान में संगठन में लगभग 150 से 250 मिलियन सदस्य हैं । संयुक्त राज्य अमेरिका ,यूनाइटेड किंगडम ,इंडोनेशिया ,मलेशिया, सिंगापुर इत्यादि में इसकी अच्छी उपस्थिति है।

इसे भी जाने- भारत में दिल्ली के निजामुद्दीन के बंगले वाली मस्जिद में तबलीगी जमात का मरकज है दुनियाभर में तबलीगी जमात के बीच इस मरकज की हैसियत तीर्थ स्थली जैसी है।


जमातियों के मुख्य कार्य


  • इस संगठन का पहला मुख्य  कार्य मुस्लिम समाज के पुनरुत्थान के लिए समर्पित प्रचारकों का एक समूह स्थापित करना है जो सच्चे इस्लाम को पुनर्जीवित करने की दिशा में कार्य कर सकें।
  • इस संगठन का दूसरा मुख्य कार्य मुस्लिम धर्म के शुद्धिकरण पर केंद्रित है ।अन्य धर्मों के लोगों को इस्लाम में परिवर्तित करना इस संगठन का उद्देश्य नहीं है।
  • इस्लामिक, अल्लाह ,कुरान, हदीस की बातों का प्रचार- प्रसार करना।
  • अपने संगठन में जुड़ने के लिए लोगों को तैयार करना , पांच वक्त की नमाज पढ़ना , रोजा रखना, कम से कम 3 दिन, 5 दिन, 10 दिन ,40 दिन, और 4 महीने तक की जमात निकालना तथा घर -घर, गांव -गांव ,शहर -शहर में जाकर इस्लाम का प्रचार करना और अपने धर्म के बारे में लोगों को बताना इसका कार्य है।
  • मुसलमान भाइयों का सम्मान करना, अल्लाह के प्रति इरादों में ईमानदारी रखना इस संगठन  के लोगों का मुख्य कर्तव्य है।


तबलीगी जमात के इतिहास ,उत्पत्ति और कार्य के सम्बन्ध जानकारी प्राप्त करने का यह एक छोटा सा लेख है जो आपके लिए शैक्षिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इस लेख की महता को समझिएगा। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित होगी। 


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